शिमला। हिमाचल प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में अपने राजनीतिक समीकरणों की वजह से हॉटसीट बनकर उभरी जुब्बल कोटखाई सीट पर अब त्रिकोणीय मुकाबला होना तय हो गया है। दरअसल, टिकट ना मिलने पर बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले पूर्व मंत्री के बेटे चेतन बरागटा ने अपना नामाकन वापस नहीं लिया है।
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बता दें कि आज नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था, लेकिन आज चेतन कहीं अंडरग्राउंड हो गए थे। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के नेताओं द्वारा उन्हें खोजने के लिए काफी प्रयास किए गए, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। इस सब के बीच निर्वाचन आयोग ने चेतन बरागटा को सेब चुनाव चिह्न जारी किया है। इसी लेकर चेतन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो भी साझा किया है।
इस वीडियो के कैप्शन में चेतन ने लिखा है कि सेब जिसके लिए मेरे पिता स्वर्गीय श्री नरेन्द्र बरागटा जी ने अंतिम सांस तक संघर्ष किया।आज चुनाव आयोग से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हमे सेब चुनाव चिन्ह मिला है।
जुब्बल-नावर-कोटखाई में सेब सिर्फ चुनाव चिन्ह नहीं मुद्दा भी है
गौरतलब है कि शिमला के जुब्बल-नावर-कोटखाई (जेएनके) क्षेत्र में भले ही सेब बगीचों से मंडियों में पहुंच गया हो लेकिन यहां उपचुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा सेब ही है। यहां के 90 फीसदी परिवार सेब बागवानी करते हैं।
अब देखना यह है कि जुब्बल कोटखाई विस क्षेत्र में उपचुनाव से पहले सरकार की घोषणाओं, चेतन के टिकट कटने का दर्द या सेब के कम दाम मिलने में से मतदाता किस प्रत्याशी का ईवीएम का बटन दबाते हैं।
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