शिमलाः हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तेंदुए के बढ़ते आंतक व बच्चों पर हुए प्रहार को मद्देनजर रखते हुए हिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग की ओर से बड़ा फैंसला लिया गया है। जिसके तहत आदमखोर तेंदुए को तत्काल प्रभाव से पकड़ने व उसे तुरंत मारने के आदेश जारी किए गए हैं।
मुआवजा राशि देने के आदेश:
बता दें कि आयोग द्वारा यह निर्णय सभी पक्षों को सुनने व आयोग के अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक की रिपोर्ट आने के बाद जारी हुआ हैं। इसके साथ ही आयोग द्वारा मृतक पांच साल की बच्ची की दादी को चार लाख रूपए की मुआवजा राशि देने के आदेश भी दिए गए हैं।
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इतना ही नहीं आयोग की ओर से क्षेत्र के आसपास के सभी तेंदुओं को चिन्हित करने व टैग करने के लिए भी कहा गया है। मानवाधिकार आयोग की मानें तो जीवन जीने का अधिकार संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार है। जिसके तहत मनुष्य के जीवन की रक्षा करना कानूनी बाध्यता है।
एक महीने में दो बच्चों को उठाया:
गौरतलब है कि 5 अगस्त को तेंदुआ कनलोग की रहने वाली एक पांच वर्षीय बच्ची को उठा ले गया था। जिसके अवशेष जंगल से बरामद हुए थे। इसी कड़ी में दिवाली की रात को भी तेंदुआ एक और बच्चे को उठा ले गया था। कोर्ट ने अभी पांच अगस्त वाले मामले पर आदेश जारी किया है
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इस मसले पर जारी किए गए फैंसले पर आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीएस राणा और सदस्य डॉ. अजय भंडारी ने कहा कि यह मानवाधिकार हनन का मामला है। इस तेंदुए को मानव जीवन के लिए खतरा घोषित किया जाता है।
डेथ वारंट जारी करें:
उन्होंने कहा कि तेंदुए द्वारा बच्ची को इरादतन और पहले से ही सुनियोजित तरीके से मारा गया है। ऐसे में अगर उस आदमखोर तेंदुए को पकड़ा जाना संभव नहीं है तो उसे तत्काल मारा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डीएफओ शहरी शिमला एवं वाइल्ड लाइफ वार्डन तेंदुए का तत्काल डेथ वारंट जारी करें।
आयोग ने दिए और भी आदेश:
- विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और कैमरा ट्रैप एक महीने के अंदर लगाए जाएं।
- क्षेत्र में एक महीने के अंदर फोरेस्ट फेंस वायर लगाने के भी आदेश दिए हैं।
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