सोलन। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले स्थित उपमंडल नालागढ़ में रहने वाली 38 वर्षीय वंदना का शव पंजाब की पटियाला नहर में बरामद हुआ है। वहीं, शव की बरामदगी के बाद ऊना से आए मृतिका के परिवार पक्ष ने ससुराल वालों पर गंभीर आरोप जड़े हैं।
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मृतक वंदना के भाई वरूण केडिया का कहना है कि समाज में नाक बचाने की हमारी सोच ने हमसें वंदना को छीन लिया। वरूण द्वारा इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि वर्ष 2008 में वंदना की शादी के बाद ही इसके पति व ससुरालियों ने इसे प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था।
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वंदना के दो बच्चे और उसकी दैनिक जरूरतों को माता-पिता पिछले कई सालों से पूरा कर रहे थे। दोनों बच्चों की डिलीवरी से लेकर उसकी चिकित्सा जरूरतों का निर्वहन परिवार कर रह था। परिजनों का आरोप है कि वंदना के ससुराल वाले उसे बार-बार बच्चों को लेकर नालागढ़ से चले जाने को कहते थे।
अपने बेटे की दूसरी शादी करने की बात कहते थे ससुरालवाले
इतना ही नहीं ससुरालवाले अपने बेटे की दूसरी शादी करने की बात करते थे। इस बीच 14 नवंबर को ससुराल पक्ष द्वारा वंदना के गुमशुदा होने की जानकारी दी गई। वंदना के भाई ने बताया कि हमारे बार-बार बोलने के बाद ही वंदना के पति ने नालागढ़ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन उसकी तलाश करने में कोई सहयोग नहीं दिया।
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वरूण के अनुसार बच्चों से उन्हें पता चला कि पिछली रात वंदना के पति ने उससे मारपीट भी की थी। वंदना की तलाश में माता पिता व उसने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन ससुराल पक्ष ने कोई सहयोग तक नहीं किया। वहीं, पटियाला नहर में वंदना का शव मिलने के बाद पति और ससुरालियों ने उसकी शिनाख्त तक नहीं की।
हाथ को कड़े और अन्य सामान को भी पहचानने से किया मना
वंदना के भाई के अनुसार यह लोग बार बार बोलते रहे यह वंदना का शव नहीं है। उसके हाथ में डाले कड़े और अन्य सामान को ससुराल पक्ष ने पहचानने से इंकार कर दिया। वरूण ने कहा कि उसकी गुमशुदगी के बाद भी ससुराल वाले कहते रहे कि उसे डेंगू हुआ है और वह अपने भाई के पास है।
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वरूण ने रूंधे स्वर में कहा कि अगर वह लोग शुरूआत में ही प्रताडऩा को लेकर समाज का डर छोडक़र पुलिस व कानून का सहारा लेते तो आज यह दिन न देखना पड़ता। उन्होंने समाज से भी अपील की है कि वह ऐसे मामलों में लोकलाज को किनारे करके प्रताडऩा का विरोध करें।
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