हिमाचल प्रदेश की 3640 पंचायतों में से 1096 पंचायतों में किए गए सोशल ऑडिट में 4.86 करोड़ रुपए का घपला सामने आया है। इन पंचायतों में किए गए 5576 विकास कार्यों में अनियमितता पाई गई है। हैरानी की बात यह है कि इसमें अभी तक 21,074 रुपए की ही रिकवरी हुई है।
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4.86 करोड़ में से 2.14 करोड़ रुपए वित्तीय अनियमितताओं व 2.72 करोड़ रुपए डेविएशन के हैं या यूं कहें कि एक कंपोनैंट का पैसा दूसरे कंपोनेंट पर खर्च किया गया है। मनरेगा के सोशल ऑडिट के लिए गठित सामाजिक अंकेक्षण इकाई ने संबंधित बीडीओ को पत्र लिखकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
यह अनियमितता चालू वित्त वर्ष 2021-22 की है
प्रदेश में 4.86 करोड़ रुपए यह अनियमितता चालू वित्त वर्ष 2021-22 की है। प्रदेश में नए पंचायत पदाधिकारियों को अपना कार्यभार संभाले हुए अभी 10 महीने ही हुए हैं और घपले सामने आने लग गए हैं। मनरेगा की वित्तीय अनियमितता में जिला सिरमौर सबसे आगे है। सिरमौर में 90.24 लाख की कथित अनियमितता सामने आई है। इसी तरह डेविएशन में जिला किन्नौर में 1.86 करोड़ की कथित अनियमितता सामने आई है।
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किस जिले में कितने का घपला
- बिलासपुर में 16.90 लाख की अनियमितताएं
- चम्बा में 4.60 लाख की गड़बड़ी
- हमीरपुर में 10.52 लाख का घपला
- कांगड़ा में 35.82 लाख की अनियमितता
- किन्नौर में 1.92 करोड़ की हेर-फेर
- कुल्लू में 20 लाख की गड़बड़ी
- लाहुल-स्पीति में कोई गड़बड़ी नहीं
- मंडी में 15.96 लाख की अनियमितताएं
- शिमला में 465 विकास कार्यों पर सवाल
- सिरमौर में 1.41 करोड़ का गड़बड़झाला
- सोलन की 39 पंचायतों में घपला
- ऊना में 10.53 लाख की अनियमितता
सामाजिक अंकेक्षण इकाई के निदेशक टेक चंद कश्यप ने बताया कि प्रदेश में 1096 ग्राम पंचायतों को सोशल ऑडिट किया गया है। इन पंचायतों में 4.86 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। यह राशि इसलिए भी ज्यादा लग रही है क्योंकि कोविड काल में सोशल ऑडिट नहीं हुआ है।
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