प्रतीकात्मक तस्वीर |
डिफालटर कंपनी को दिया था लोन:
यह एफआईआर एक आईएएस अधिकारी सहित कुल 16 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई है। इसमें चार कंपनियां भी शामिल हैं। मिली जानकारी के मुताबिक पिछले कांग्रेस सरकार के समय काल में ऊना जिले स्थित केसीसी बैंक द्वारा सब नियमों को ताक पर रखते हुए पंजाब की एक कंपनी को लोन दिया गया था।
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जबकि पंजाब में उस कंपनी को डिफालटर करार दिया गया था। बावजूद इसके कंपनी को लोन दे दिया गया। इस मामले के संबंध में एसपी विजिलेंस कार्यालय धर्मशाला ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की थी, जिसके आधार पर कुछ दिन पहले ही सरकार द्वारा विजिलेंस को केस दर्ज करने की औपचारिक स्वीकृति आई थी।
इस पर कार्रवाई करते हुए एडीजीपी विजिलेंस ने स्वीकृति एसपी नार्थ रेंज को भेजी थी। उन्होंने इस संबंध में ऊना विजिलेंस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वहीं, मामला ऊना जिले से जुड़ा है तो इसके संबंधित केस भी ऊना जिले में ही फाइल हुआ है।
सचिवालय में फंसी थी फाइल:
इस संबंध में मामला दर्ज करने की मंजूरी से जुड़ी फाइल सचिवालय में बड़े बाबुओं के पास औपचारिकताओं के फेर में फंसी थी। काफी समय के बाद सचिवालय से फाइल राज्य विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो मुख्यालय आई।
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अब मामला दर्ज जो जाने से उक्त आइएएस अधिकारी की भी मुश्किलें बढऩी तय है। हालांकि, यह अधिकारी अपना पक्ष रखने से साफ इन्कार कर रही हैं। अब आरोपितों को विजिलेंस पूछताछ के लिए तलब करेगी। आरोपितों को नोटिस भेजे जाएंगे।
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