जानें, किस काम में इस्तेमाल होगी यह राशि
सरकार द्वारा दी जाने वाले इस धनराशि से महिलाएं उनके काम में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद कर पाएंगी। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी। इतना ही नहीं वे अपने साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार देने में समर्थ होंगी।
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बता दें कि वर्तमान में प्रदेश भर में 28 हजार से ज्यादा स्वंय सहायता समूह हैं। इन समूहों से कुल 2. 70 लाख महिलाएं जुडी हुई हैं। ये महिलाएं आचार, चटनी व फूड प्रोसेसिंग के कार्य सहित बांस से बने उत्पाद, चील की पत्तियों से सजावटी सामान, हस्त शिल्प व हथकरघा उद्योग का कार्य कर रही हैं।
सालाना आय को एक लाख करने के लिए दी जाएगी ट्रेनिंग
बतौर रिपोर्ट्स, स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं को फूड प्रोसेसिंग के माध्यम से मार्च 2022 तक स्वरोजगार से जाड़ा जाना है। इस योजना के तहत आचार, चटनी व फूड प्रोसेसिंग के तहत महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर उनकी आय में वृद्धि करना है। इतना ही नहीं इन महिलाओं की सालाना आय को एक लाख रुपए तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
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इस संबंध में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन हिमाचल प्रदेश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि प्रदेश की स्वयं सहायता समूह की एक लाख महिलाओं को प्रधानमंत्री खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना के तहत 31 मार्च तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। आर्थिक मदद से महिलाएं मशीनें व अन्य अन्य उपकरण खरीद सकेंगी।
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