शिमला: हिमाचल प्रदेश से सटे तिब्बत क्षेत्र में चीन अपनी नापाक हरकतें फिर से तेज कर दिया है। हिमाचल से लगती सीमा पर बुनियादी ढांचा व निगरानी तंत्र मजबूत करने की अपडेट की पुष्टि हुई है।
सेटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा:
मिली जानकारी के अनुसार तिब्बत क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी बढ़ गई है। चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक सड़कों और पुलों का निर्माण करते हुए सैन्य चौकियां स्थापित कर रहा है।
हिमाचल से सटे तिब्बत की पारछू झील तक चीन ने पक्की सड़कों का निर्माण किया है। पारछू नदी के दोनों ओर के किनारों तक सड़कों, पुलों के निर्माण किया गया है। सेटेलाइट तस्वीरों और डाटा से खुलासा हुआ है कि चीन ने इस क्षेत्र में विकास गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
एक्शन में आए डीजीपी:
चीन की बढ़़ती सैन्य गतिविधियों को देखते हुए हिमाचल पुलिस प्रमुख (डीजीपी) ने राज्यपाल को सौंपी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सीमा पर स्थित दो जिलों लाहुल स्पीति व किन्नौर में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की उपस्थिति और बढ़ाएं।
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रिपोर्ट में ड्रोन से निपटने की व्यवस्था, वायु रक्षा प्रणाली मजबूत करने व स्थानीय लोगों को गुरिल्ला प्रशिक्षण देने की भी बात कही गई है। हिमाचल राजभवन इस रिपोर्ट को जल्द ही केंद्र सरकार को सौंपेगा।
हिमाचल से लगते चीन के क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को देखते हुए भारतीय सेना व आइटीबीपी के अलावा आंतरिक सुरक्षा देख रही पुलिस भी हाई अलर्ट पर है। हाड़ जमाने वाली ठंड और बर्फबारी के बीच सेना, सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद है।
240 किमी की है अंतरराष्ट्रीय सीमा :
बता दें कि हिमाचल के दो जिलों की 240 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के तिब्बत से जुड़ी हुई है। नौ नवंबर, 2021 में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सीमा क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की थी।
इस संबंध में राजभवन में शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू की मौजूदगी में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन देकर वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया। राज्यपाल ने मामले को काफी गंभीरता से लिया था और नजरअंदाज नहीं करने की बात कही थी।
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उन्होंने किन्नौर और लाहुल-स्पीति के लगभग 48 सीमावर्ती गांवों के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की आवश्यकता बताई थी। इन क्षेत्रों में पुलिस थानों और चौकियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
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