शिमला/ऊना। हिमाचल प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत विभिन्न समितियों के अधीन कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सरकार की बेरुखी के चलते काम छोड़ो हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल पर गए एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गईं हैं।
सरकार ने नहीं सुनी तो..
प्रदेश भर में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रहे करीब 2000 कर्मचारी 23 साल से सरकार की बेरुखी का शिकार हैं। कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि अभी भी यदि सरकार ने उनकी मांगों की तरफ सहानुभूति पूर्वक ध्यान नहीं दिया तो यह संघर्ष लंबा भी जा सकता है।
प्रदेश सरकार से स्थायी नीति की मांग को लेकर आज प्रदेश के करीब 2000 एनएचएम कर्मचारी काम छोड़ो आंदोलन पर हैं, जिसके चलते प्रदेशभर में न तो कोई टैस्ट हो रहे हैं और न ही कोरोना केस सैंपल कलैक्ट किए जा रहे हैं।
कर्मचारियों ने पहले ही दे दिया था नोटिस
इस आंदोलन को लेकर एनएचएम कर्मचारियों ने पहले ही प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। कर्मचारियों का कहना है कि इस हड़ताल के संबंध में पहले ही ऐलान कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार नहीं जागी और कर्मचारियों को आज पेन डाउन हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ा है।
7 फरवरी से और बड़ा हो जाएगा विरोध
एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमीन चंद ने बताया कि कर्मचारी 6 फरवरी तक काले बिल्ले लगाकर अपना काम कल से जारी रखेंगे और सरकार से स्थायी नीति बनाने की मांग करते रहेंगे। अगर फिर भी प्रदेश सरकार नीति बनाने को लेकर फैसला नहीं लेती है तो 7 फरवरी को प्रदेशभर से एनएचएम कर्मचारी शिमला चलो अभियान के तहत राजधानी में इकट्ठा होंगे और प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
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