सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद की गुज्जर बस्ती में चल रहे सरकारी विद्यालय नौरंगाबाद में नौवीं की छात्रा वंदना के नाम की चर्चा हो रही है। दरअसल, इस बच्ची ने यह बात सही साबित कर दी है कि घर के जुगाड़ से पानी को शुद्ध बनाया जा सकता है। इस बच्ची ने देसी जुगाड़ के बदौलत पौधे की जाइलम तकनीक से मात्र 10 से 15 रुपए खर्च कर जाइलम जैविक फिल्टर बनाया है, जो पानी को शुद्ध करने में पूरी तरह से कामयाब भी है।
बता दें कि सभी बच्चों को स्कूलों की किताबो में इस बारे पढ़ाया तो जाता है, लेकिन रियल लाइफ में छात्र प्रयोग नहीं करते है। वहीं, वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रदेश भर में तीसरा स्थान मिला है। इतना ही नहीं वंदना को शिक्षा मंत्री ने सम्मानित भी किया है।
ऐसे तैयार की तकनीक
वंदना ने इस फिल्टर को बनाने के लिए दो छोटे मटकों की तली में छेद किया। छेद में रबड़ का पाइप फंसाकर इसके आखिरी सिरों पर जाइलम युक्त तने के टुकड़े लगाए। पहले घड़े से पानी दूसरे घड़े में फिल्टर हुआ। फिर दूसरे घड़े से पानी फिल्टर होकर तीसरे में पहुंचा। यह पानी पूरी तरह शुद्ध था।
लेक्चरर की मदद से इस तरह आगे बढ़ा प्रयोग
वंदना ने इस तकनीक का इस्तेमाल लेक्चरर संजीव अत्री के साथ किया। इन लोगों ने पहले नीम के पौधे के हरे तने का प्रयोग किया। बाद में जामुन व साल के पेड़ों के जाइलम इस्तेमाल में लाया गया। चीड़ के जाइलम से पानी के निकलने की गति तेज पाई गई।
वंदना ने पाया कि सूखी लकड़ी के जाइलम से पानी का प्रवाह तीव्र हुआ। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में पानी के भीतर चूना व चीनी डालकर इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद जो फिल्टर होकर निकला, उसमें न तो चूने का रंग था, न ही मीठा था। फिर भी इस तकनीक से जल की जैविक और अजैविक अशुद्धियों की जांच प्रयोगशाला में कराएंगे।
स्कूल के मुख्याध्यापक एवं गाइड टीचर संजीव अत्री ने बताया कि इस प्रयोग के बारे में उन्होंने नौरंगा बाद क्षेत्र के स्थानीय लोगों को भी समझाया है। इस प्रकार का फिल्टर कम लागत में तैयार हो सकता है। इसे किसी भी बर्तन में प्रयोग किया जा सकता है।
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