शिमला: हिमाचल प्रदेश के भूगर्भ में यूरेनियम के भंडार होने की पुष्टि हुई है। यदि बड़ी मात्रा में यूरेनियम पाया जाता है तो हिमाचल प्रदेश भारत को सुपर पॉवर बनाने में बड़ा मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।
कोविड में शुरू हुआ था खुदाई:
बता दें कि हिमाचल में यूरेनियम के अवशेष मिलने की पुष्टि पूर्व (सबसे पहले वर्ष 2013 में) में भी हो चुकी है। लेकिन कनेक्टिविटी की समस्या के कारण खुदाई की कार्य को आगे नहीं बढ़ाया गया।
कोविड लॉकडाउन के दौरान निदेशालय ने आउटसोर्स कंपनी से खुदाई का काम शुरू करवाया। नतीजतन हिमाचल प्रदेश में कुल 11 स्थानों पर यूरेनियम के होने की पुष्टि हुई है। ऊना और हमीरपुर जिला में यूरेनियम समृद्ध नए स्थल पाए गए हैं।
11 जगहों पर हुई पुष्टि:
मिली जानकारी के अनुसार हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर कुनाह और पुंग खड्ड (छोटी नदी) में कई जगह यूरेनियम के अवशेष मिले हैं।
कुनाह और पुंग के बीच 15 से 20 किलोमीटर की दूरी है। कुनाह और पुंग खड्ड नाल्टी, नेरी और नारा गांवों से होकर गुजरती है।
खुदाई करने वाली आउटसोर्स कंपनी ने इसकी रिपोर्ट परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय के उच्च अधिकारियों को सौंप दी है।
स्टेट ज्योलॉजिस्ट पुनीत गुलेरिया ने पुष्टि करते हुए कहा कि यूरेनियम के स्रोत पूरे हिमाचल में जगह-जगह मिल रहे हैं।
इस धातू से बनता है परमाणु बम:
ऊना, शिमला के रामपुर, मंडी और कुल्लू की पहाड़ियों पर भी यूरेनियम पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। आंध्र प्रदेश, झारखंड और मेघालय समेत देश के 11 राज्यों में से हिमाचल भी शामिल है, जहां यूरेनियम के भंडार मिल चुके हैं। लेकिन इन जगहों को अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि यूरेनियम काफी महंगा धातू है। जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा के माध्यम से बिजली बनाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा यूरेनियम का उपयोग परमाणु बम बनाने में भी किया जाता है।
इन जिलों में इतने मात्रा का अनुमान:
केंद्र सरकार ने हिमाचल से यूरेनियम निकालने की पहल छह वर्ष पहले भी की थी, लेकिन कनेक्टिविटी के मुद्दों के कारण असफल रहा।
काशा-कलाड़ी शिमला जिला का सबसे समृद्ध यूरेनियम बेल्ट है, जिसमें अनुमानित 200 टन ट्राइयूरेनियम ऑक्टॉक्साइड यूरेनियम का एक यौगिक है, जो 170 टन भारी धातु का उत्पादन कर सकता है।
मंडी जिले में 220 टन ट्राइयूरेनियम ऑक्टाक्साइड (186 टन यूरेनियम) है। 364 टन ट्राईयूरेनियम ऑक्टाक्साइड के साथ राज्य में सबसे बड़ा भंडार ऊना के राजपुरा में है।
किन्नौर जिले के रोपा गांव के पास विषम रेडियोधर्मिता मूल्य का पता चला है, जबकि बटाल और वांगटू में भी छोटे भंडार पाए गए हैं। कुल्लू जिला में, नौ स्थलों में यूरेनियम का पता लगाया गया है।
जिसमें पार्बती घाटी में चंजरा, धारा कनोला क्षेत्र, सजवार-शकीनंधर रेंज, कुल्लू की बंजार घाटी में हीरुब गियागई- खलाहांडी, तीर्थन घाटी में धारागढ़, नाधारा, कुंडली और पिनगरंग शामिल हैं।
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