शिमला। पूरे भारत समेत हिमाचल प्रदेश में बजट का अच्छा ख़ासा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में खर्च किया जाता है। करदाताओं से पैसे इक्कठे कर सरकार द्वारा आम जनता को मुफ्त में दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन इसे स्वास्थय विभाग की कारस्तानी ही कहा जाएगा कि जो दवाइयां आम जनता को मिलनी चाहिए वो बेकार होने के बाद नालों में फेंक दी जा रही हैं।
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ताजा मामला हिमाचल प्रदेश में पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग पर 32मील के पास से रिपोर्ट किया गया है। जहां एक नाले से बड़ी मात्रा में सरकारी दवाइयों की खेप बरामद की गई है। यहां नाले से पैरासीटामोल की 400 से 500 बोतलें बरामद हुई हैं। इसके अलावा क्लोट्रिमाजोल एंड डिप्रोपयोनट क्रीम तथा क्लोट्रिमाजोल एंड वेक्लोमैथाजोनडिप्रोपयोनट क्रीम की ढेरों ट्यूब की खेप भी यहां फेंकी हुई पाई गई हैं।
जानें इस मामले पर क्या बोले स्वस्थ्य मंत्री
अब इन दवाइयों की बरामदगी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। मिली जानकारी के अनुसार इन दवाइयों पर 'एचपी गवर्नमेंट सप्लाई, नाट फारसेल' लिखा हुआ है और ये दवाइयां एक्सपायर भी हो चुकी हैं। ऐसे में माना जा रहा है की किसी अस्पताल द्वारा एक्सपायर होने के बाद इन दवाइयों नाले में फेंक दिया गया है।
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इन दवाइयों के बाद आम लोगों द्वारा सूबे के सीएम जयराम ठाकुर और स्वास्थ्य मंत्री डा राजीव सहजल से मामले की जांच कराने की मांग उठाई गई है। वहीं, इस बारे में सवाल किए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सहजल ने कहा कि उन्हें भी मीडिया के माध्यम से ही इस बात की जानकारी हासिल हुई है। उन्होंने आगे कहा की अगर यह वाकया सही है तो चिकित्साधिकारियों को इस मामले की जांच कराने के निर्देश दी जाएंगे।
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